कफ्फरकोट के शैलचित्र

अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर पेटसाल में उतर कर ठीक पूर्व-उत्तर दिशा में लगभग आधा किमी. चलकर पेटसाल और पूनाकोट गाँवों के बीच में कफ्फरकोट नामक शैलाश्रय है| कफर-का अर्थ है- चट्टान और कोट का अर्थ है -दुर्ग । इस शैलाश्रय के ठीक सामने नीचे की ओर पूना नदी बहती है। शैलाश्रय काफी कुछ ध्वस्त हो चुका है।...

प्रागैतिहासिक हैं लखुडियार के शैलचित्र

लखुडियार का चित्रित शैेलाश्रय अल्मोड़ा नगर से १३ किमी. दूर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर दलबैंड के पास है । इसके बगल से ही सुआल नदी बहती है । सुआल का रूख यहां अर्धचन्द्रमा की तरह वर्तुलाकार हो जाता है । सड़क के दांयीं ओर नदी से लगा हुआ एक विशालकाय शिलाखंड है। इस विशाल शिला का ऊपरी भाग सर्प जैसी आकृति...

कसारदेवी शिलालेख

अल्मोड़ा से सात किमी की दूरी पर अल्मोड़ा-कफड़खान मार्ग पर कसारदेवीे का प्रसिद्ध देवालय स्थित है। इस देवालय के बांयी ओर पश्चिम दिशा में एक संकरा रास्ता पगडंडी की तरह बना हुआ है जो उस चट्टान तक ले जाता है जिस पर कभी किसी शिल्पी ने उत्तर भारत की महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहरों में से एक इतिहास प्रसिद्ध...

प्राचीन मानव की सुन्दरतम अभिव्यक्ति हैं शैलचित्र

शिलाचित्र मानव की सुन्दरतम अभिव्यक्ति ही नहीं वरन् उसकी अमूल्य धरोहर भी हैं । माना जा सकता है कि जबसे पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन प्रारम्भ हुआ तभी से कला का भी उद्भव हो गया होगा । कला एक इतिहास ही नहीं वरन् सृजन भी है । लगता है कि वनैले प्रान्तरों में बने प्राकृतिक उडियार (कन्दराए) या शैलाश्रयों में...

श्रेणी: शैलचित्र

हिमवान » शैलचित्र

कफ्फरकोट के शैलचित्र

अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर पेटसाल में उतर कर ठीक पूर्व-उत्तर दिशा में लगभग आधा किमी. चलकर पेटसाल और पूनाकोट गाँवों के बीच में कफ्फरकोट नामक शैलाश्रय है| कफर-का अर्थ है- चट्टान और कोट का अर्थ है -दुर्ग । इस शैलाश्रय के...

प्रागैतिहासिक हैं लखुडियार के शैलचित्र

लखुडियार का चित्रित शैेलाश्रय अल्मोड़ा नगर से १३ किमी. दूर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर दलबैंड के पास है । इसके बगल से ही सुआल नदी बहती है । सुआल का रूख यहां अर्धचन्द्रमा की तरह वर्तुलाकार हो जाता है । सड़क के दांयीं ओर...

कसारदेवी शिलालेख

अल्मोड़ा से सात किमी की दूरी पर अल्मोड़ा-कफड़खान मार्ग पर कसारदेवीे का प्रसिद्ध देवालय स्थित है। इस देवालय के बांयी ओर पश्चिम दिशा में एक संकरा रास्ता पगडंडी की तरह बना हुआ है जो उस चट्टान तक ले जाता है जिस पर कभी किसी...

Shaila Chitra

प्राचीन मानव की सुन्दरतम अभिव्यक्ति हैं शैलचित्र

शिलाचित्र मानव की सुन्दरतम अभिव्यक्ति ही नहीं वरन् उसकी अमूल्य धरोहर भी हैं । माना जा सकता है कि जबसे पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन प्रारम्भ हुआ तभी से कला का भी उद्भव हो गया होगा । कला एक इतिहास ही नहीं वरन् सृजन भी है ।...

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