सिद्ध संतो की साधना स्थली है काकड़ीघाट का सोमवारी बाबा आश्रम

भारत में संत परम्परा के अग्रणीय संत सोमवार गिरी के काकड़ीघाट आश्रम की जानकारी कम ही लोगों को है। हल़्द्वानी से अल्मोड़ा की ओर जाने वाले मार्ग पर खैरना कस्बे से आगे कोसी नदी के तट पर पश्चिम की ओर काकड़ीघाट महान सिद्ध सन्त सोमवार गिरि महाराज की साधना स्थली रहा है। अल्मोड़ा जनपद की पट्टी कंडारकुआं...

ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का रामशिला मंदिर

अल्मोड़ा नगर के अति प्राचीन देवालयों में रामशिला मंदिर का स्थान पहला है। अल्मोड़ा की बसासत के दूसरे चरण के अन्तर्गत राजा रूद्रचंद के कार्यकाल में वर्ष 1588-89 में एक नये अष्ट पहल राजनिवास का निर्माण नगर के मध्य में करवाया गया था जो मल्ला महल कहलाता था। इसी मल्ला महल के केन्द्र में रामशिला मंदिर...

प्रागैतिहासिक हैं लखुडियार के शैलचित्र

लखुडियार का चित्रित शैेलाश्रय अल्मोड़ा नगर से १३ किमी. दूर अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ मार्ग पर दलबैंड के पास है । इसके बगल से ही सुआल नदी बहती है । सुआल का रूख यहां अर्धचन्द्रमा की तरह वर्तुलाकार हो जाता है । सड़क के दांयीं ओर नदी से लगा हुआ एक विशालकाय शिलाखंड है। इस विशाल शिला का ऊपरी भाग सर्प जैसी आकृति...

रंगवाली का पिछौड़ा

एक दुल्हन के लिए कुमाऊं में पिछौड़े का वही महत्व है जो एक विवाहित महिला के लिए पंजाब में फुलकारी का, लद्दाखी महिला के लिए पेराक या फिर एक हैदराबादी के लिए दुपट्टे का है। यह एक शादीशुदा मांगलिक महिला के सुहाग का प्रतीक है और परम्परा के अनुसार उत्सवों , सामाजिक समारोहों और धार्मिक अवसरों पर प्रायः...

गोल्ल मंदिर चितई-अल्मोड़ा

“काली गंगा में बगायो गोरी गंगा में उतरो तब गोरिया नाम पडो..” यह लोक काव्य की पंक्तियां कुमाऊँ के न्यायकारी लोकमानस के आराध्य देवता गोल्ल अथवा गोरिल के जागर में जगरियों द्वारा गायी जाती हैं । गोल्ल को कुमाऊं में स्थान व बोली के आधार पर अनेक नामों से पुकारा जाता है । वे चौधाणी गोरिया...

शिल्प की दृष्टि से सिरमौर है स्यूनराकोट का नौला

शोभित सक्सेना अल्मोड़ा जनपद के महत्वपूर्ण नौलों में से स्यूनराकोट का नौला शिल्प की दृष्टि से सिरमौर है। अल्मोडा से कौसानी जाने वाले मार्ग पर कोसी से आगे चल कर पक्की सड़क मुमुछीना गांव तक जाती है जहां से मात्र आधा किमी की दूरी पर पन्थ्यूड़ा ग्राम है। इसी गांव में यह नौला स्थित है। उत्तराभिमुख यह...

स्वामी विवेकानंद और महान वैज्ञानिक रोनाल्ड रास की यादों से जुड़ा है थाॅमसन हाउस

स्वामी विवेकानंद की अल्मोड़ा यात्राओं का यदि सन्दर्भ लिया जाये तो थाॅमसन हाउस का उल्लेख होना स्वाभाविक है। हिमालय यात्रा के दौरान अल्मोड़ा से स्वामी विवेकानंद की अनेक यादें जुड़ी हुई हैं। वह वर्ष 1898 में कई दिनों तक अल्मोड़ा के ऐतिहासिक थाॅमसन हाउस में ठहरे थे। थाॅमसन हाउस अल्मोड़ा नगर से...

न्यायकारी हैं लोकदेवता कलबिष्ट

अल्मोड़ा से 16 किमी. की दूरी पर अल्मोड़ा-ताकुला मोटर मार्ग में कफड़खान से लगभग तीन किमी आगे की ओर जाकर घने जंगलों के मध्य लोकदेवता कलबिष्ट का प्रसिद्ध मंदिर है। इस स्थान को अब कलबिष्ट गैराड़ गोलू धाम के नाम से जाना जाता है। मंदिर जाने के लिए बिन्सर वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी के मुख्य प्रवेश द्वार से लगभग...

हिलजात्रा

हिलजात्रा कुमाऊ क्षेत्र के सोर घाटी में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण उत्सव है। यह उत्सव प्रतिवर्ष भाद्र माह के शुक्लपक्ष में मनाया जाता है। यह पर्व यहां मनाये जाने वाले एक अन्य पर्व आँठू के अन्तिम दिन अथवा उससे एक दिन...

जो नरजीवे खेले फाग

पहाड़ की होलियों का सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्य कई मायनों में देश के अन्य प्रान्तों व इलाकों से अलग दिखायी देता है। दरअसल पहाड़ में होने वाली होलियां स्थानीय प्रकृति समाज के साथ बहुत गहराई के साथ जुड़ी हुई हैं। यहां...

विष्णु के वाहन हैं गरुड़

भगवान विष्णु के साथ अनिवार्य रूप से रहने वाले पक्षीराज गरूड़ का उल्लेख ऋग्वेद में सुपर्णा गरूत्मान के नाम से हुआ है। सूर्यदेव के सारथी अरूण के छोटे भाई , विनीता तथा कश्यप ऋषि की संतान गरुड़ विष्णु के वाहन हैं। कला में...

शिखरों के लोक में बसन्त

भारतीय संस्कृति में नदी, पहाड़, पेड़-पौंधे पशु-पक्षी, लता व फल-फूलों के साथ मानव का साहचर्य और उनके प्रति संवेदनशीलता का भाव हमेशा से रहा है। प्रकृति और मानव के इस अलौकिक सम्बन्ध को स्थानीय लोक ने समय-समय पर गीत, संगीत...

उत्तराखंड के पुरातत्व की गौरव गाथा

मनीषियों द्वारा प्रतिपादित हिमालय के पांच भागों नेपाल, कूर्मांचल, केदार, जलंधर तथा कश्मीर में से दो केदार तथा कूर्मांचल को मिलाकर ही वर्तमान का उत्तरांचल राज्य बना है। पी0 बैरन ने वांडरिंग्स इन द हिमाल में इस पर्वतीय...

प्रकृति और मानव के सह-रिश्तों का पर्व है सातूं-आठूं

कुमाऊँ में ‘सातूं-आठूं’ का पर्व ‘गमरा-मैसर’ अथवा ‘गमरा उत्सव’ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व नेपाल और भारत की साझी संस्कृति का प्रतीक है। पिथौरागढ़ व चंपावत जिलों के सीमावर्ती...

शिल्प में पार्वती

कुमाउ मंडल से प्राप्त शाक्त प्रतिमाओं में देवी पार्वती की सर्वाधिक प्रतिमायें प्राप्त होती हैं ।बाल्यावस्था में इनका नाम गौरी था जब ये विवाह योग्य हुईं तो इन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिये घोर तपस्या की।...

शिल्प में महिषासुरमर्दिनी

 प्राचीन भारतीय वाङमय में शक्ति उपासना की परम्परा सम्भवतः देवी शक्ति से सामर्थ ग्रहण करने के उद्देश्य से ही की जाती होगी । साहित्यिक स्त्रोतों एवं पुरातात्विक उत्खननके आधार पर शक्ति उपासना की परम्परा व विकास का...

कौसानी में राष्ट्र्पिता ने लिखा था अनासक्ति योग

राष्ट्र्पिता महात्मा गांधी ने वर्ष 1929 की जून-जुलाई माह में कौसानी में रह कर गीता पर अपनी प्रसिद्ध टीका अनासक्ति योग की रचना की थी। महात्मा गांधी के आने से पहले कौसानी मात्र उजड़े हुए चाय बागानों के लिए ही जानी जाती थी...

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