अल्मोड़ा नन्दादेवी मेले में नन्दा की पूजा एवं तन्त्र

शिरीष पांडे ज्योतिष, तन्त्र और मन्त्र ये ऐसी तीन विद्यायें हैं, जिससे उत्तराखण्ड का जनजीवन और लोक संस्कृति काफी प्रभावित रही है। कत्यूरी और चन्द राजा तन्त्र विद्या में पारंगत माने जाते थे। देवी की पूजा युद्ध देवी के रूप में करने की परम्परा कत्यूरी और चन्दकाल में काफी प्रचलित रही है। देवीशक्ति पूजा...

ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का शै भैरव मंदिर

शिव रूप भैरव रक्षक देवता हैं। भारत वर्ष के अनेक किलों में उनकी स्थापना गढ़ के रक्षक के रूप में की गई है। अल्मोड़ा नगर में भी रक्षक देवता के रूप में उनकी स्थापना नगर के प्रमुख स्थानों में अष्ट भैरव रूप में की गई थी। अल्मोड़ा में अष्ट भैरव मंदिरों की स्थापना का सम्बन्ध चंद शासक उद्योत चंद (1678-98)...

सिद्ध शिवालय है अल्मोड़ा का बेतालेश्वर मन्दिर

बेतालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड का सिद्ध बेतालनाथ शिव मंदिर अल्मोड़ा नगर के बेस चिकित्सालय से विकास भवन की ओर जाने वाले सड़क मार्ग पर नगर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस सड़क मार्ग से मंदिर की पैदल दूरी 250 मीटर है। मंदिर की विभिन्न दिशाओं में भनार गूंठ, रखोली, बाड़ी...

जन- जन के आराध्य हैं बाबा गंगनाथ

पर्वतीय क्षेत्रों में बाबा गंगनाथ का बड़ा मान है। वे जन- जन के आराध्य लोक देवता हैं। बाबा गंगनाथ की लोकप्रियता का प्रमाण जगह -जगह स्थापित किये गये उनके वे मंदिर हैं जो वनैले प्रान्तरों से लेकर ग्राम, नगर और राज्य की सीमा पार कर उनके भक्तों द्वारा स्थापित किये गये हैं। इन्हीं में से एक है अल्मोड़ा...

अल्मोड़ा नगर के रक्षक हैं अष्ट भैरव

उत्तराखंड में सर्वहारा वर्ग के सर्वप्रिय यदि किसी देवता का उल्लेख करना हो तो निश्चित ही वह देवता हैं-भैरव। पर्वतीय समाज में उन्हें लौकिक देवता का स्थान मिला हुआ है। उनके छोटे- छोटे मंदिर निर्जन वनों से लेकर गांव- समाज के आसपास की बसासत तक सभी जगह मिलते हैं। शिव रूप भैरव को ना केवल उग्र देवता के रूप...

श्रेणी: आस्था के प्रमुख केंद्र

नन्दादेवी मंदिर-अल्मोड़ा

नन्दादेवी परिसर में तीन देवालय विद्यमान हैं । इनमें से दो मंदिर उद्योतचन्देश्वर तथा पार्वतेश्वर मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से पुराविदों एवं स्थापत्य में रुचि रखने वालों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बने हैं । तीसरा...

बालेश्वर मंदिर-चम्पावत

बालेश्वर का मंदिर शिल्प अपने आप में अनोखा है। इसका शिल्प कुमाऊँ में प्राप्त अन्य मंदिरों से अलग है । यह एक संयुक्त मंदिर है जिससे कभी दो मंदिर रहे होंगे जो आच्छादित कर एक दूसरे से जोड़े गये थे । प्रतीत होता है कि...

बैजनाथ देवालय

बैजनाथ को कत्यूरी नरेशों की पुरानी राजधानी कार्तिकेंयपुर से जोड़ा जाता है । यह स्थान अल्मोड़ा-बागेश्वर मार्ग पर कौसानी से 18 किमी. की दूरी पर बसा है । स्कन्द पुराण के मानस खंड में गोमती नदी एवं गारूड़ी नदियों के संगम पर...

अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत है- कटारमल सूर्य मंदिर

रनीश एवं हिमांशु साह कटारमल का सूर्य मंदिर-उत्तर भारत की मध्य कालीन वास्तुकृतियों में विशिष्ट स्थान रखता है। अल्मोड़ा नगर से 13 किमी की दूरी पर बसे कोसी कस्बे से डेढ़़ किमी0 की पैदल चढ़ाई चढ़ कर अथवा कोसी बाजार से लगभग दो...

अपनी कलाऔर पुरासम्पदा लिए बेजोड़ है बमन सुआल मंदिर समूह

बमन सुआल वैसे तो एक छोटे से गांव का नाम है जो अल्मोड़ा जनपद के पट्टी मल्ला लखनुपुर से 6 किमी की दूरी पर सुआल नदी तथा थमिया के गधेरे के पास स्थित है। लेकिन बमन सुआल गांव में स्थित एकादश रूद्र नाम का प्राचीन मंदिर समूह...

बागनाथ मन्दिर समूह-परम्परा एवं शिल्प

अल्मोड़ा से लगभग 85 किमी. की दूरी पर स्थित तल्ला कत्यूर में गोमती-सरयू के संगम पर बागेश्वर जिले का मुख्यालय बागेष्वर स्थित है । इसे उत्तराखण्ड का प्रयाग भी कहा जाता है । लोकोक्ति हैं कि जिस प्रकार भगीरथ ने गंगा का अवतरण...

ज्योतिर्लिंग जागेश्वर

हिमालय शिव का आवास है । इसकी पर्वत श्रेणियों पर शिव सर्वत्र विचरण करते हैं। शिव के उन्मुक्त विचरण के कारण ही मध्य हिमालय की इन श्रृंखलाओं को शिवालिक के नाम से जाना जाता है । इसी शिवालिक अंचल में अल्मोड़ा नगर से ३५ किमी...

बौद्ध आश्रम कसार देवी अल्मोड़ा

अल्मोड़ा का अन्तराष्ट्रीय बौद्ध आश्रम उच्च स्तरीय ध्यान एवं साधना करने वाले देसी विदेशी साधकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। यह साधना केन्द्र बौद्ध धर्म अनुयायियों की कग्युग शाखा का उत्तराखंड में स्थापित सबसे...

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