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अल्मोड़ा का नाम रोशन किया था आइरिन पंत ने

आजादी से पूर्व के जिन प्रखर व्यक्तित्वों के कारण अल्मोड़ा जैसे छोटे पर्वतीय नगर की विशिष्ट पहचान बनी तथा गरिमा में वृद्धि हुई उनमें आइरिन पंत उर्फ राना लियाकत अली गुलराना का नाम आज भी दीपक की ज्योति की तरह टिमटिमा रहा है। अल्मोड़ा में जन्मी आइरिन पंत का विवाह पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के साथ हुआ था। अपनी प्रतिभा, समाजसेवा के कार्याें व महिला उत्थान के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय योगदान के लिए आइरिन को पाकिस्तान के सर्वाेच्च सम्मान निशान- ए- इम्तयाज व संयुक्त राष्ट्र् के मानवाधिकार अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

जे के पंत

स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासन काल में अल्मोड़ा निवासी कुमाऊँ के प्रथम आनरेरी मजिस्ट्र्ट डेनियल पंत व प्रख्यात शिक्षिका एन मोहिनी पंत के अल्मोड़ा निवास शांति काटेज में 13 फरवरी 1905 को जन्मी आइरिन पंत को छोटी उम्र से ही भारत की लिटिल नाइट एंगिल कहा जाता था। आइरिन पंत के भतीजे अवकाश प्राप्त कैप्टन जेके पंत बताते हैं कि वे दस वर्ष की छोटी उम्र में ही अपनी माँ के साथ वे बीमारों की सेवा के लिए अस्पताल जातीं थीं। जेल में स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए संघर्षरत कैदियों के परिवारों के लिए पत्र लिखना, उनकी पारिवारिक समस्याओं को सुलझाना, जरूरत मंदों की मदद करना जैसे कार्य उनको विशेष प्रिय थे। अल्मोड़ा जैसे पर्वतीय नगर में बर्फ और वर्षा भी कभी उन्हें अपने इस रोजाना के कार्य से विरत नहीं कर पायी। महिला अधिकारों के लिए संघर्ष करने में वे सैदेव अग्रणी रहीं। उन्होनें अपना शोध प्रबन्ध भी संयुक्त प्रांत में कृषि कार्याें में महिला श्रमिकों की स्थिति पर ही पूरा किया था।

जे के पंत

कैप्टन पंत के अनुसार आइरिन पंत के पूर्वज कोंकण महाराष्ट्र् के उच्च कुलीन ब्राह्मण थे जिन्होंने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। आइरिन ने मानवाधिकारों के लिए संघर्ष के साथ-साथ तत्कालीन मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक उत्थान व गुलाम भारत को आजादी दिलाने के लिए चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से पूरी दुनिया मे अपनी अमिट छाप छोड़ी। बाद में उन्होंने पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान से विवाह कर लिया। तब उनको बेगम लियाकत अली खान गुलेराना नाम दिया गया। लियाकत अली खान अविभाजित भारत के प्रथम वित्त मंत्री भी रहे। 

अन्तर्राष्ट्र्ीय क्षेत्र में उनकी विशिष्ट प्रतिभा तथा सेवाओं को देखते हुए उन्हें विभिन्न अलंकरणों से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 1959 में उन्हें मदर आॅफ पाकिस्तान तथा पाकिस्तान का सर्वाेच्च सम्मान नियाज-़ए-इम्तियाज, 1961 में गै्रंड क्रास आफ नीदरलैंड, प्रथम एशियाई महिला के बतौर मानवता की सेवा के लिए 1962 में इंटरनेशनल गिंबल एवार्ड व 1978 में संयुक्त राष्ट्र् द्वारा मानवाधिकार अवार्ड से सम्मानित किया गया। प्रथम मुस्लिम महिला नेत्री के रूप में उन्होंने अनेक क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। किसी भी देश में प्रथम मुस्लिम महिला राजदूत के रूप में आइरिन सर्वप्रथम 1954 से 1961 तक हालैंड में तथा 1961 से 1966 तक इटली व ट्यूनेशिया में पाकिस्तान की राजदूत रहीं। वे सिंध प्रांत में भी प्रथम मुस्लिम महिला गवर्नर तथा सिंध में विश्व-विद्यालयों की पहली महिला कुलाधिपति भी रहीं।

संयुक्त राष्ट्र् में वे पहली मुस्लिम महिला प्रतिनिधि थीं। 1950 में वुमन ऐचीवमेंट मैडल प्राप्त करने वाली प्रथम मुस्लिम महिला थीं। आइरिन पंत के व्यक्तित्व के बारे में प्रसिद्ध लेखक व इतिहासकार पर्सिवल स्पीयर ने अपनी किताब द आक्सफोर्ड हिस्ट्र्ी आफ  माॅर्डन इंडिया में लिखा है कि भारत मे आजादी से पूर्व की जिन महिलाओं ने अपनी प्रतिभा की विशिष्ट छाप छोड़ी उनमें दो महिलाऐं अद्वितीय थीं। इनमें एक प्रसिद्ध कवियत्री सरोजनी नायडू तथा दूसरी अल्मोड़ा की आइरिन पंत रहीं।

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