लेखक: कौशल किशोर सक्सेना

नंदादेवी राजजात कुमाऊँ-2000

नंदा राजजात की परम्परा कुमाऊँ में किस तरहसे प्रारम्भ हुई इस विषय में इतिहास मौन है। नंदादेवी सम्भ्वतः कत्यूरी नरेशों की भी ईष्ट देवी थी। कत्यूरी नरेश ललितशूरदेव के ई.853 के ताम्रपत्र में वंश शाखा संस्थापक निंबर को...

बाबा नीब करौरी की लीला स्थली है कैंची धाम

हल्द्वानी से अल्मोड़ा की ओर मोटर मार्ग पर भवाली से थोड़ी ही दूरी पर इठलाती बलखाती एक छोटी सी नदी नैनीताल एवं अल्मोड़ा जनपदों की सीमा रेखा को खींचती हुई बहती है। इस नदी को बाबा नीम करोली ने उत्तर वाहिनी नाम दिया। उत्तर...

देवता आह्वानकी विशिष्ट प्रक्रिया है- जागर

कुमाउनी भाषा में जागर शब्द का अर्थ है–देवता को जागृत करना । जागर के अन्तर्गत कुमाऊँ में देवता आह्वान की वह विशिष्ट प्रक्रिया आती है जिसके अन्तर्गत गायन और नृत्य के आधार पर किसी मानव शरीर पर देवता, भूत प्रेत आदि को...

भक्तों की सुनते हैं बाबा नीम करोली

एक युवा तेजस्वी साधक अपनी लय में चिमटा कमंडल जैसे परम्परागत साधुओं के सामान सहित टुण्डला की ओर जाती एक रेलगाड़ी के प्रथम श्रेंणी के डिब्बे में बैठ गया। एंग्लो इंडियन टिकट चैकर को इस अधनंगे साधु की यह धृष्टता नहीं भायी ।...

असीम उर्जा देते हैं – गणनाथ

गणनाथ का मंदिर अत्यंत प्राचीन है । यह मंदिर अल्मोड़ा–कौसानी मार्ग पर रनमन नामक गांव से मात्र ७ किमी की दूरी पर है तथा अल्मोड़ा – ताकुला बागेश्वर मोटर मार्ग पर ताकुला से कुल 8 किसी दूरी पर है । गणनाथ का मंदिर...

प्रेरणा स्तम्भ है नृत्य सम्राट उदय शंकर का दीपदान

प्रेरणा पुरूष अपने जीवन में प्रयोग की गई विशिष्ट वस्तुओ को भी अति महत्वपूर्ण धरोहर बना जाते हैं। विश्व विख्यात नर्तक उदय शंकर का उनके अल्मोड़ा कार्यकाल में प्रयोग किया गया अति सुन्दर पानस (दीपदान) अल्मोड़ा नगर में उनके...

रंगवाली का पिछौड़ा

एक दुल्हन के लिए कुमाऊं में पिछौड़े का वही महत्व है जो एक विवाहित महिला के लिए पंजाब में फुलकारी का, लद्दाखी महिला के लिए पेराक या फिर एक हैदराबादी के लिए दुपट्टे का है। यह एक शादीशुदा मांगलिक महिला के सुहाग का प्रतीक...

शुभता और मांगल्य की प्रतीक है कुमाउनी नथ

उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में महिलाओं की मांगलिक परिधान एवं आभूषणों को लेकर यदि पहली पसंद पूंछी जाये तो उनका उत्तर होगा- पिछौड़ा एवं नथ। नथ ग्रामीण हो या शहरी सभी महिलाओं की सर्वप्रिय मांगलिक आभूषण है। शायद ही कोई...

लोकदेवता भोलानाथ की तपःस्थली है सिद्ध का नौला

अल्मोड़ा के पल्टन बाजार के प्रारम्भ होते ही सिद्ध नृसिंह मंदिर के सामने सिद्ध बाबा का नौला एवं मंदिर नगर के आस्था के प्रमुख केन्द्रों मे अपना स्थान रखता है। यहां नाथ परम्परा के चंद कालीन सिद्ध संत ऋद्धिगिरी निवास करते...

कुमाऊँ के देवालय – निर्माण तथा परिरक्षण

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में प्राचीन मंदिरोंके निर्माण की परम्परा लगभग सातवीं शती से निरन्तर पल्लवित होती रही है। इस क्षेत्र में मंदिर निर्माण क्रमानुसार लकड़ी, ईंट तथा मजबूत पत्थरों इत्यादि से हुआ। लकड़ी की प्रकृति...

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