ऋतुराज बसंत के आगमन और फागुन के प्रारम्भ होते ही उत्तर भारत में सर्दी का खुशनुमा मौसम उमंग भरे दिलों में मीठी सिहरन भर देता है । ऋतुराज बसंत फूलों की मादकता से मानव मन को रंग डालते हैं । फगुनाहट के परिवेश में होली पर्व...
चम्पावत-मायावती मार्ग पर ढकना ग्राम में उत्तराखंड का प्रसिद् नौला एक हथिया नौला स्थित है। किंवदन्ती हैं कि जिस कलाकार ने बालेश्वर मंदिर और एक हथिया देवाल बनाये उसी कलाकार का एक हाथ राजा ने अपने दुष्ट सामंतों के कहने पर...
शोभित सक्सेना अल्मोड़ा जनपद के महत्वपूर्ण नौलों में से स्यूनराकोट का नौला शिल्प की दृष्टि से सिरमौर है। अल्मोडा से कौसानी जाने वाले मार्ग पर कोसी से आगे चल कर पक्की सड़क मुमुछीना गांव तक जाती है जहां से मात्र आधा किमी...
पर्वतीय क्षेत्रों की दुर्गम भूमि को उर्वरा करने के लिए यहाँ की महिलाओं ने अत्यधिक श्रम से धरती को सींचा है। दुर्जेय पर्वत मालाओं के बीच रमणीय घाटियों में धान की सुनहली बालियों के खेत दूर से आकर्षित तो जरूर करते हैं...
अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट कस्बे में सम्पन्न होने वाला स्याल्दे बिखौती का प्रसिद्ध मेला प्रतिवर्ष वैशाख माह में सम्पन्न होता है । हिन्दू नव संवत्सर की शुरुआत ही के साथ इस मेले की भी शुरुआत होती है जो चैत्र मास की अन्तिम...
अल्मोड़ा अत्यंत सुन्दर व सुरम्य पर्वतीय स्थलों में से एक है। यदि एक बार अल्मोड़ा के आसपास की नैसर्गिक सुन्दरता एवं दशहरा महोत्सव को देख लिया तो निश्चित ही मन बार-बार यहाँ आने के लिए प्रयत्न करेगा । कार्तिक मास में मनाये...
डीडीहाट तहसील से गंगोलींहाट कस्बे से ११ किमी. की दूरी पर पट्टी तल्ला बडाऊँ माना डीडीहाट क्षेत्र से पाताल भुवनेश्वर नामक ग्राम है । इस गांव में एक प्राचीन दर्शनीय गुफा भूगर्भ के अन्दर है । भूगर्भ के अन्दर की वृहदाकार...
यूँ तो कुमाऊँ का कण-कण सौन्दर्य से परिपूर्ण है लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जहा जाकर मन सम्मोहन की सीमा में पहुंच जाता है । पिथौरागढ जनपद के गंगोलीहाट कस्बे का काली मंदिर इनमें से एक है । गंगोली कस्बे की खूबसूरत घाटी में...
देवीधुरा में वाराही देवी मंदिर के प्रांगण में प्रतिवर्ष रक्षावन्धन के अवसर पर श्रावणी पूर्णिमा को पत्थरों की वर्षा का एक विशाल मेला जुटता है । मेले को ऐतिहासिकता कितनी प्राचीन है इस विषय में मत-मतान्तर हैं । लेकिन आम...
चन्द्र शेखर पंत, हल्द्वानी पर्वतीय क्षेत्रों के रिहायशी भवनों के बिभिन्न भागो को मांगलिक अवसरों पर महिलाओं द्वारा रचायेगये नयनाभिराम आलेखन नववधू जैसा सजाते हैं। इस क्षेत्र की महिलाओं ने अपनी लोक कला को जीवित रखने के लिए...