अल्मोड़ा नगर से १२ किमी. दूरी पर स्थित क्वारब से मौना-सरगाखेत जाने वाले मार्ग पर ३ किमी. चल कर सैज़ ग्राम ने पहुँचा जा सकता है जहाँ कपिलेश्वर मंदिर समूह के नाम से जाने जा रहे तीन मंदिरो का समूह है । मंदिर समूह चिताभूमि पर स्थापित किया गया है। कुमिया तथा शकुनि जल धाराओं के मिलन स्थल पर यह शमशान और देवालय समूह स्थित है । कपिलेश्वर के मुख्य मंदिर का स्वरूप शेष मंदिरों की अपेक्षा विशाल, चारू, संतुलित तथा योजना एवं विन्यास की दृष्टि से भव्य है ।
इस मंदिर में प्रयोग किये गये स्थानीय पत्थरों को तराश कर इन पत्थरों से निर्मित सादे गर्भगृह, अलंकरणविहीन, सपाट वितानयुक्त देवालय को सादा ही रखा गया है । फांसणा शैली के शिखर का जंघा भाग उद्गमयुक्त रथिकाओं से बनाया गया है। शिखर पर पर्वतीय परम्पराओं के अनुरुप काष्ठ निर्मिंत बिजौरा है जो पांच भागों में विभक्त विशालकाय आमलसारिका को आच्छादित किये है ।
जंघाभाग पर उद्गमयुक्त रथिकाओं में महिषमर्दिनी दुर्गा, आचार्य लकुलीश, गणेश आदि की प्रतिमायें भी स्थापित की गयीं थीं । अन्तराल पर स्थापित मंदिर का शुकनास द्विस्तरीय है । इस पर फासणा तथा वल्लभी शैली के मंदिरों की देवकुलिकाओं की अनुकृतियां, भद्रमुख, नटराज शिव, त्रिभंग मुद्रा में मकर वाहिनी गंगा तथा कूर्मवाहिनी यमुना का मनभावन अलंकरण है। जबकि परिकर सिंह, व्याल, मयूर तथा पत्रवल्ली से गढ़ा गया है । मंदिर के प्रवेश द्वार को शाखाओं से सुशोभित कर उत्तरंग का श्रृंगार सप्तग्रहों के निरुपण से हुआ है ।
गर्भगृह के देवता स्वयंभूलिंग हैं । गणेश व देवी प्रतिमाओं की भी यहाँ स्थापना की गयी है ।