शिव रूप भैरव रक्षक देवता हैं। भारत वर्ष के अनेक किलों में उनकी स्थापना गढ़ के रक्षक के रूप में की गई है। अल्मोड़ा नगर में भी रक्षक देवता के रूप में उनकी स्थापना नगर के प्रमुख स्थानों में अष्ट भैरव रूप में की गई थी।...
सिद्ध शिवालय है अल्मोड़ा का बेतालेश्वर मन्दिर
बेतालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड का सिद्ध बेतालनाथ शिव मंदिर अल्मोड़ा नगर के बेस चिकित्सालय से विकास भवन की ओर जाने वाले सड़क मार्ग पर नगर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस सड़क मार्ग से मंदिर की पैदल...
स्वामी विवेकानंद और महान वैज्ञानिक रोनाल्ड रास की यादों से जुड़ा है थाॅमसन हाउस
स्वामी विवेकानंद की अल्मोड़ा यात्राओं का यदि सन्दर्भ लिया जाये तो थाॅमसन हाउस का उल्लेख होना स्वाभाविक है। हिमालय यात्रा के दौरान अल्मोड़ा से स्वामी विवेकानंद की अनेक यादें जुड़ी हुई हैं। वह वर्ष 1898 में कई दिनों तक...
हरेला पर्व : सुघड़ हाथों की करामात हैं – डिकारे
कुमाउनी जन जीवन में भित्तिचित्रों के अतिरिक्त भी महिलाएँ अपनी धार्मिक आस्था के आयामों को माटी की लुनाई के सहारे कलात्मक रूप से निखारती हैं। हरेला के त्योहार पर, जो प्रतिवर्ष श्रावण माह के प्रथम दिवस पड़ता है, बनाये जाने...
भक्तों की सुनते हैं बाबा नीम करोली
एक युवा तेजस्वी साधक अपनी लय में चिमटा कमंडल जैसे परम्परागत साधुओं के सामान सहित टुण्डला की ओर जाती एक रेलगाड़ी के प्रथम श्रेंणी के डिब्बे में बैठ गया। एंग्लो इंडियन टिकट चैकर को इस अधनंगे साधु की यह धृष्टता नहीं भायी ।...
शुभता और मांगल्य की प्रतीक है कुमाउनी नथ
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में महिलाओं की मांगलिक परिधान एवं आभूषणों को लेकर यदि पहली पसंद पूंछी जाये तो उनका उत्तर होगा- पिछौड़ा एवं नथ। नथ ग्रामीण हो या शहरी सभी महिलाओं की सर्वप्रिय मांगलिक आभूषण है। शायद ही कोई...
ऐतिहासिक है अल्मोड़ा का रामशिला मंदिर
अल्मोड़ा नगर के अति प्राचीन देवालयों में रामशिला मंदिर का स्थान पहला है। अल्मोड़ा की बसासत के दूसरे चरण के अन्तर्गत राजा रूद्रचंद के कार्यकाल में वर्ष 1588-89 में एक नये अष्ट पहल राजनिवास का निर्माण नगर के मध्य में...