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ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक इमारतों का शहर भी है अल्मोड़ा

चंद राजाओं द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक इमारतों के अतिरिक्त भी अंग्रेजी शासन काल में अल्मोड़ा शहर में अनेक सुन्दर और कलात्मक भवनों का निर्माण किया गया। इनमें नार्मल स्कूल, बडन चर्च, टैगोर हाउस, मुख्य डाकघर, रैमजे स्कूल, एडम्स स्कूल, थाम्पसन हाउस, राजकीय इंटर कॉलेज आदि प्रमुख हैं। अल्मोड़ा का सर्किट हाउस भी उन प्रमुख इमारतों में एक है जिनका निर्माण न केवल कलात्मक है अपितु संतुलित और दर्शनीय भी है। इन सभी भवनों का आज भी सार्वजनिक कार्याें के लिये उपयोग किया जा रहा है।

हिमांशु साह

यह सर्वविदित तथ्य है कि गोरखों को हरा कर वर्ष 1815 में अंग्रेजों ने अल्मोड़ा से अपना शासन शुरू किया । अल्मोड़ा में कदम रखते ही अंग्रेजों ने चंद शासकों द्वारा पूर्व निर्मित लाल मंडी किले का नामकरण लार्ड मोयरा के नाम पर फोर्ट मोयरा कर दिया । उन्होंने छावनी क्षेत्र में वर्तमान ईदगाह के सामने गौथिक वास्तु कला में निर्मित छोटा परन्तु शानदार गिरजाघर का निर्माण किया। समय के थपेड़ो से यह भवन नष्ट हो गया। उसके अवशेष अब नहीं मिलते।

गोरखों पर आक्रमण के समय मल्ला महल भी लगभग नष्ट ही हो गया था । मल्ला महल को एक नई वास्तु कला के साथ अंग्रेजों ने पुनः निर्मित करवाया। इसमें कमिश्नरी कार्यालय तथा अधिकारियों के आवास बनाये गये तथा यूरोपियन वास्तुकला के रूप में विकसित किया गया। अल्मोड़ा में कमिश्नर ट्रेल ने वर्ष 1816 में नंदादेवी को मल्ला महल से वर्तमान के उद्योतचंदेश्वर मंदिर पहुंचा दिया। मल्ला महल में स्थापित भैरव देवता को भी महल से बाहर खजांन्ची बाजार स्थित मंदिर में स्थापित कर दिया गया।

हिमांशु साह

चंद राजाओं द्वारा निर्मित तल्ला महल वर्ष 1815 में अंग्रेजों के अधिकार में आया जिन्होनें पहले यहाँ पर कारागार तथा बाद में रैमजे स्कूल स्थापित किया। बाद में जेल की नई इमारत पोखरखाली में बन जाने तथा पोखरखाली में जेल स्थानान्तरित हो जाने के बाद इस स्थान पर जिला अस्पताल के भवन का निर्माण किया गया तथा जहाँ आजकल विक्टर मोहन जोशी महिला चिकित्सालय है ,उस स्थान पर तहसील कार्यालय स्थापित किया।

रैमजे इंटर कॉलेज के वर्तमान भवन का निर्माण वर्ष 1871 में किया गया था। लंदन मिशन सोसायटी द्वारा संचालित मिशन हाई स्कूल पहले चीनाखान में संचालित होता था जिसे बाद में चौक बाजार में स्थानान्तरित कर दिया गया । इस स्थान पर पहले तल्ला महल तथा कुछ अन्य भवन थे। अपने सुदृढ़ स्थापत्य और कलात्मक संरचना के कारण इसे अल्मोड़ा की भव्य इमारतों में गिना जाता है।

फोटोः हिमांशु साह
हिमांशु साह

अल्मोड़ा में 1852 में स्थापित एडम्स गर्ल्स इंटर कॉलेज सबसे पुराने स्कूलों में से एक है। पादरी बडेन की पत्नी श्रीमती जॉन हेनरी बडेन ने अपनी बेटी मैरी बडेन की सहायता से यह बालिका विद्यालय स्थापित किया । वर्ष 1952 में गर्ल्स मिशन स्कूल की स्थापना के साथ ही बालिकाओं के लिए विधिवत शिक्षा की पढ़ाई प्रारम्भ हुई। यह एकमात्र ऐसा स्कूल था जो पूरी तरह से लड़कियों के लिए बनाया गया था और इसमें छात्रावास की सुविधा भी थी। इस संस्थान ने अल्मोड़ा की लड़कियों को शिक्षित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। वर्ष 1859 में श्रीमती बडेन की मृत्यु हो गई फिर भी उनकी बेटियों ने स्कूल का काम जारी रखा । विशाल भवन और स्थापत्य वाला यह पहला स्कूल है जिसने अल्मोड़ा में अंग्रेजी शिक्षा शुरू की।

हिमांशु साह

अल्मोड़ा में कुष्ठ रोगी आश्रम की स्थापना हैनरी रैमजे ने 1840 में की थी। यह कुष्ठ रोग के इलाज के लिए भारत में अपने तरह का सबसे पुराना संस्थान है। नवंबर 1851 में पादरी जॉन हेनरी बडेन ने कुष्ठ आश्रम में रोगियों की देखभाल की जिम्मेदारी संभाली। बाद में इसके लिए वर्ष 1854 में नगर के दक्षिण छोर में, एक नई इमारत का अधिग्रहण किया गया था । जॉन हेनरी बडेन 1887 में सक्रिय सेवा से सेवानिवृत्त हुए और 18 मार्च, 1890 को अल्मोड़ा में उनकी मृत्यु हो गई । मिशनरी कार्याें के लिए उनकी वर्षों की सक्रिय सेवा की याद में अल्मोड़ा के चर्च का नाम बडेन मेमोरियल चर्च रखा गया। नगर के एल आर साह रोड के मल्ला कसून में बडन मेमोरियल मेथोडिस्ट चर्च सन् 1897 में अस्तित्व में आया। इसके प्रार्थना सभा के विशाल कक्ष की काष्ठकला अत्यंत दर्शनीय व सुंदर है।

शोभित सक्सेना

अल्मोड़ा नगर में तराशे गये स्थानीय पत्थरों से बना गवर्नमेंट नार्मल स्कूल इंडो-यूरोपियन शैली की दर्शनीय विरासत है। यूरोपियन तथा भारतीय शिल्प समन्वय से बने इस भवन में यूरोपियन स्टाइल के बुर्ज, खिड़की, दरवाजे, मेहराब तथा शिल्प देखने लायक है । छत इंग्लैंड से मंगाई गई नालीदार चादरों से आच्छादित है। तांबे के तड़ित चालक लगाकर इसे आकाशीय बिजली प्रतिरोधक बनाया गया था। भवन की आन्तरिक संरचना इसे गर्मियों में ठंडा तथा जाड़ों में गरम रखकर वातानूकूलित होने का अहसास देती है। वर्ष 1902 में अल्मोड़ा में अंग्रेज सरकार द्वारा में शिक्षा केन्द्रों के विस्तार के लिए स्कूली टीचर तैयार करने हेतु इस सुन्दर इमारत की नींव में डाली गई थी। यह भवन शिल्प का एक बेजोड़ नमूना है।

छावनी क्षेत्र में निर्मित टैगोर हाउस आज भी अल्मोड़ा नगर की सबसे भव्य और विशाल इमारतों में से एक है। सूर्यास्त का इतना विहंगम दृश्य कम ही स्थानो से देखने को मिलता है। लगभग दो सौ वर्ष से अधिक पुरानी टैगोर हाउस की इमारत को 1961 से पहले बंगला संख्या 5 सैंट मार्क्स हाउस के नाम से जाना जाता था । अभिलेखों से पता चलता है कि भवन वर्ष 1815 के फौरन बाद बना था । वर्तमान में इस भवन में छावनी परिषद अल्मोड़ा का कार्यालय है। गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने वर्ष 1937 में अपनी पुत्रवधू तथा पुत्री के साथ यहां निवास किया था।

शोभित सक्सेना

कैंट क्षेत्र में तत्कालीन अंग्रेज शासकों ने एक अन्य शानदार भवन का निर्माण करवाया जिसे अब सर्किट हाउस के नाम से जाना जाता है। इस भवन में अंग्रेज कमिश्नर हैनरी रैमजे का आवास था जिन्होने इस भवन में 1883 तक निवास किया था। सर हैनरी रैमजे 16 वर्ष तक कुमाऊँ के सहायक आयुक्त तथा वर्ष 1856 से 1884 तक 28 साल कुमाऊँ के कमिश्नर रहे । शासन -प्रशासन द्वारा अब इस भवन का उपयोग विशिष्ठ आगन्तुकों के निवास के लिए किया जाता है।

नगर उत्तर दिशा में नारायण तेवाड़ी देवाल के समीप माउन्ट ब्राउन नाम से अंग्रेजों ने एक मोहल्ला विकसित किया जिसे अब हीराडुंगरी के नाम से जाना जाता है। पहले इसे मिशन कम्पाउंड भी कहा जाता था।


पोखरखाली में भी जेल का छोटा परिसर एव अस्थाई भवन था जिसका निर्माण वर्ष 1822-23 में हुआ था। वर्तमान जेल की इमारत वर्ष 1872 में बनाई गयी। वर्ष1837 में अल्मोड़ा में थाना स्थापित हुआ जो इस क्षेत्र का सबसे पुराना पुलिस स्टेशन है। 1934 में लच्छीराम थियेटर का निर्माण हुआ।

हिमांशु साह

अल्मोड़ा में राजकीय इंटर कॉलेज की स्थापना ब्रिटिश काल में वर्ष1889 में हुई थी, यह इंटर कॉलेज अल्मोड़ा के ऐतिहासिक भवनों में भी गिना जाता है । इनके अतिरिक्त अभी भी इंडो यूरोपियन आर्कीटेक्चर के प्रतीक अल्मोड़ा के मुख्य डाकघर इत्यादि अनेक भवन मौजूद हैं । ये सभी इमारतें काफी पुरानी हैं और आज भी सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के गौरवमयी इतिहास को दर्शाती हैं।

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